दोस्तों टीवी जगत के पॉपुलर सीरियल अनुपमा में आपने अब तक देखा कि अनुज शाह परिवार के आगे अनुपमा के लिए अपने प्यार का इजहार कर चुका है और यह बात अनुपमा ने भी सुन ली थी। अनुपमा ने अपनी और अनुज की दोस्ती को बरकरार रखा है और दुनिया की हर फिक्र से अपनी दोस्ती को परे रखा है। आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि बा अनुज के पास सिंदूर लेकर पहुंचेगी और कहेगी कि उसे अब अपने रिश्ते का नाम देना होगा ताकि समाज में उनका भी सम्मान हो। बा कहेगी कि बिना रिश्ते का प्यार अय्याशी और बदनामी होता है इसलिए अनुपमा की मांग में सिंदूर भरकर उसे अपने घर की लक्ष्मी बना ले और मेरा मुंह बंद कर दे। बा कहेगी कि ये सिंदूर ही अनुपमा के चरित्र पर लगे दाग को मिटा सकता है। बा लगातार अनुज को भड़काएगी।
अनुज बहकावे में आकर एक चुटकी सिंदूर उठा भी लेगा लेकिन तभी अनुपमा उसे रोक देगी और वो सिंदूर उसके माथे में लगा देगा। अनुज बताएगा कि उसके मन में अनुपमा के लिए प्यार है लेकिन अनुपमा के मन में उसके लिए कोई प्यार नहीं है। अनुज कहेगा कि वो अनुपमा के लिए सिर्फ एक दोस्त है। अनुज कहेगा कि वो तिलक लगाकर उसे देवी बना सकता है, मांग भरकर बीवी नहीं। अनुपमा बा से कहेगी कि वो अनुज का प्यार स्वीकार नहीं कर सकती लेकिन वो उनके प्यार का सम्मान करती है। अनुपमा कहेगी कि हम अपने रिश्तों की हदें तय कर चुके हैं। अनुपमा बा से कहेगी कि वो उन्हें जीने दे। बा अनुपमा और अनुज पर शाह परिवार की खुशियों को बर्बाद करने का इल्जाम लगाएगी।
बा पर आज बापूजी गुस्सा करेंगे और बा को कारखाने से निकल जाने को कहेंगे। इस पर बा कहेगी कि वो कौन होते हैं उसे निकालने वाले। बा ने कहा कि मैं अपनी मर्जी से बहू नहीं चुन पाई, जब से अनुपमा घर में आई है खुशियों को नजर लग गई। बा अपना एहसान जताएगी कि उसने बतौर बहू घर के लिए क्या-क्या किया है। बा गु्स्से में बापूजी की रोल पर ही उंगली उठा देगी और कहेगी उन्होंने आजतक कोई जिम्मेदारियां नहीं निभाई। बापूजी की औकात पर सवाल उठाएगी बा और कहेगी कि जब आपकी हैसियत नहीं थी तो आपने शादी क्यों की। बा ने कहेगी कि आपने अपनी जिंदगी में किया ही क्या है। बा कहेगी कि वनराज को छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा क्योंकि उसका बाप घर का भार उठाने के लायक नहीं था। बा कहेगी कि अगर मेरा बेटा नहीं होता तो आज हम वृद्धाश्रम में बरतन मांज रहे होते। बा कहेगी कि अगर मेरी बेटी अपने बाप के भरोसे होती तो वो आज भी कुंवारी होती।
अनुपमा यह सब सुनकर बा को सुनाना शुरू कर देगी और कहेगी किउन्होंने सिर्फ पैसों को याद रखा लेकिन उनके प्यार को नहीं। बा कहेगी पिता कोई नोट छापने वाली मशीन नहीं होता बल्कि राह दिखाने वाला सहारा होता है। अनुपमा बा से कहेगी कि आपके हिसाब से हर अमीर आदमी अच्छा पिता और हर गरीब एक बुरा पिता होगा। गुस्से में एक बार फिर बा अपना जहर उगलेगी और अपने ही भाई को बुरा-भला कहेगी। यही नहीं बा कहेगी कि उसके पति पहले भी फेल थे और आज भी फेल ही हैं। आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि बा की कड़वी बातों से बापूजी को ठेस पहुंचेगी और उन्हें गहरा सदमा लगेगा। अनुपमा अब बाबूजी का खोया हुआ सम्मान वापस लाने की बात कहेगी।