दोस्तों भारत और पकिस्तान में पानी का घनघोर संकट है। दोनों देशों में करोड़ों की आवादी के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है।भारत ने पाकिस्तान को जाने वाली अपनी तीन नदियों के पानी को रोकने का बड़ा फ़ैसला किया है। दोनों देशों के लोग रोजाना मीलों पैदल चलकर पीने का साफ पानी लाते हैं। ऐसे सैकड़ों इलाके हैं जहां टैंकरों से पानी उपलब्ध कराया जाता है।
बता दे की एक आंकड़े के मुताबिक भारत में तीन-चौथाई लोगों के पास घर में पीने का साफ नहीं है और देश का 70 पानी प्रदूषित हो चुका है। नदियां सूख रही हैं। दोनों देशों में ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी है कि कभी भी इनमें पानी को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है क्योंकि दोनों देशों के बीच पानी को लेकर एक संधि है।
बता दे की 1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान ने सिंधु जल संधि की थी। इस संधि के मुताबिक़ सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया था। विश्व बैंक की मध्यस्थता में 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर एक समझौता हुआ था। इसे ही 1960 की सिंधु जल संधि कहते हैं। अक्सर इसके उल्लंघन का आरोप दोनों देश एक-दूसरे पर लगाते रहते हैं। ताजा विवाद पनबिजली परियोजनाओं को लेकर है, जिसको लेकर भारत चिनाब नदी पर काम कर रहा है।
वही पाकिस्तान का कहना है कि यह संधि का उल्लंघन है और इससे पानी की आपूर्ति पर असर पड़ेगा। पाकिस्तान सरकार की एक टीम इसकी जांच के लिए आ रही है। भारत सरकार ने इस परियोजना पर काम जारी रखने पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। इस स्थिति में समझा जा रहा है कि यदि दोबारा मोदी सरकार सत्ता में आ चुकी है ऐसे में ये मामला गंभीर विवाद का मुद्दा भी बन सकता है।
पानी का संकट हो सकता है भारत-पाकिस्तान के बीच झगड़े का नया कारण!
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