दोस्तो यदि आपका मन बीमारी से लड़ने के लिए मजबूत है तो कितनी भी बड़ी बीमारी आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ऐसे ही एक मजबूत मन वाले कैंसर पीड़ित की दास्तान इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसने एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे 6 बार कैंसर जैसी भयानक बीमारी को मात देकर अपने जीवन की यात्रा बरकरार रखी। राजस्थान के अजमेर के रहने वाले जयंत कंदोई बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी होशियार थे। जयंत ना केवल पढ़ने लिखने में बल्कि एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में भी वह बहुत उम्दा प्रदर्शन करते थे। जयंत जिला स्तरीय खो-खो चैंपियन भी रह चुके हैं और इसके साथ ही वे मोटिवेशनल स्पीकर भी है।
साल 2013 में जब दसवीं कक्षा में थे तब उन्हें गले के एक तरफ कैंसर हो गया था जिसके बाद उनका भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में 12 कीमोथेरेपी हुई जिसके बाद उनकी तबियत में सुधार आया। इसके बाद जयंत ने बोर्ड की परीक्षा दी और अच्छे अंकों से दसवीं पास की। जयंत अपने जीवन में कैंसर को मात देकर आगे बढ़ ही रहे थे की साल 2015 में उन्हें फिर एक बार गले की दूसरी तरफ कैंसर हुआ और इस बार उन्हें 60 रेडियोथेरेपी करना पड़ा। इस बार भी जयंत ने कैंसर को मात दे दी।
बाद में जयंत दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई करने चले गए। साल 2017 में उन्हें अचानक पेट में दर्द होना शुरू हुआ। चेकअप करवाने पर पता चला कि यह भी कैंसर है। इसके बाद उनका इलाज हुआ और वह फिर एक बार कैंसर पर बात कर कर तंदुरुस्त हो गए। इसी दौरान जयंत ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टार सिटी क्लब बनाया और कैंसर के रोगियों की मदद करने लगे। समय बीतता गया और 2018 में जयंत ने एक एप्लीकेशन बनाया जिसका नाम है ज्ञान की बातें। लोगों को यह एप्लीकेशन काफी पसंद आया और अभी तक इसको लाखों लोग डाउनलोड कर चुके हैं।
2019 शुरू हुआ जयंत को इस बार गांठ हुई और वो भी पैंक्रियास के पास लेकिन इस बार भी जयंत इतनी गंभीर बीमारी को मात देकर ठीक हो गए। 2020 में जहा पूरा देश अलग परेशान था वहां पर जयंत को एक बार फिर कैंसर हो गया और इस बार उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना पड़ा। जयंत के परिवार ने बताया कि वह समय उनके लिए इतना कठिन था की सभी लोगों ने धीरे-धीरे उनका साथ छोड़ दिया था। परंतु जयंत में इन सारी बीमारियों से बाहर निकलने के बाद एक अलग ही उत्साह बन गया।
जयंत एक बहुत अच्छे मोटिवेशनल स्पीकर है और एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं। उनकी स्पीच एस लोगों को काफी पसंद आती है। कैंसर की बीमारी से जूझने के बाद जयंत को यह अनुभव हुआ कि कैंसर की बीमारी की पीड़ा कितनी दर्दनाक होती है। इसीलिए वो लोगों की कैंसर से लड़ने में मदद करना चाहते हैं।