दोस्तों बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर को इस दुनिया से अलविदा कहे हुए 33 साल हो गये हैं लेकिन उनके कई किस्से आज भी उतने ही मशहूर हैं। जितने उस जमाने में थे। तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजे जाने वाले राज कपूर ने 10 साल की उम्र में पहली बार हिंदी फिल्म इंकलाब में अभिनय किया। भारतीय सिनेमा के स्वर्णयुगीन फिल्मकार निर्देशक और अभिनेता थे। उन्होंने करीब चार दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया।
फिल्म इंडस्ट्री के इस महान शख्सियत ने मात्र 24 साल की उम्र में खुद का स्टूडियो आर.के स्टूडियो स्थापित कर डाला। हिंदी सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राज कपूर ने कई ऐसी फिल्में बनाई जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया। उनकी फिल्मों से इंडस्ट्री को अलग ही दिशा मिली, राज कपूर ने ही फिल्मों में बोल्डनेस दिखाई थी। आज हम 39 साल पहले रिलीज हुई फिल्म प्रेम रोग से जुड़ा एक किस्सा आप से साझा करने जा रहे हैं। जिसमें ऋषि कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे लीड रोल में नजर आए थे। फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेता ऋषि कपूर के प्रपोज करते ही पद्मिनी ने उन्हें जोरदार एक के बाद एक 8 थप्पड़ मार दिए थे।
एक इंटरव्यू में पद्मिनी ने बताया कि कैसे वे ऋषि के गाल के पास अपना हाथ ले जाकर धीमा कर देती थीं लेकिन फिल्म के निर्देशक राज कपूर ने उन्हें जोर से थप्पड़ मारने के लिए कहा था। पद्मिनी कोल्हापुरे शूटिंग को याद करते हुए बोलीं मुझे थप्पड़ मारने का सीन याद है। मुझे ऋषि कपूर को थप्पड़ मारना था और एक्शन सीन में अक्सर जैसा होता है। थप्पड़ वाले सीन को एक्शन के साथ सिंक्रनाइज करते हैं लेकिन राज कपूर चाचा ऐसा नहीं चाहते थे, वह चाहते थे कि मैं उन्हें थप्पड़ मारूं और फिर उन्होंने कहा नहीं नहीं तुम थप्पड़ मारो। मुझे वह रियल तरह का शॉट चाहिए। तब चिंटू ने मुझसे कहा तुम आगे बढ़ो और मुझे थप्पड़ मारो।
इस सीन को याद करते हुए पद्ममी कहती हैं। पहले टेक में मेरा हाथ उनके गाल पर जाता और धीमा हो जाता लेकिन फिर राज अंकल कहते नहीं मुझे ऐसा हल्का थप्पड़ नहीं चाहिए। फिर उस शॉट में हमें कुछ 7-8 रीटेक लेने होंगे। कुछ गलत हो गया। कैमरा लाइट या तकनीकी समस्या के कारण मुझे बार थप्पड़ मारने पड़े। अगर मुझे ऐसे ही थप्पड़ मारा जाता तो मुझे क्या होता।
प्रेम रोग सन 1982 एक रोमांटिक फिल्म थी जिसमें ऋषि कपूर ने देव का किरदार निभाया था और प्रेम की कहानी पर आधारित फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे विधवा मनोरमा के किरदार में थी। देव उन्हें बेइंत्हा प्यार करते थे.इस फिल्म को राजकपूर ने बनया था और इसकी पटकथा जैनेंद्र जैन और कामना चंद्रा ने लिखी है। फिल्म को समीक्षकों द्वारा सराहा गया था और इस फिल्म ने जमकर कमाई की थी। यह विधाता के बाद उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी।