दोस्तों गिरीश मातृभूतम की सॉफ्टवेयर कंपनी फ्रेशवर्क्स इंक ने बीते बुधवार को अमेरिकी एक्सचेंज नैस्डेक में अपनी जगह बना ली है। बता दें कि यह पहली भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी है जो अमेरिकी एक्सचेंज नैस्डेक में अपना नाम शामिल करवाने में कामयाब रही। इस कंपनी का मार्केट कैप भी 12 अरब डॉलर के ऊपर चला गया है। गिरीश मातृभूतम की इस सॉफ्टवेयर कंपनी फ्रेशवर्क्स के शेयर्स ने नैस्डेक पर अपने इश्यू प्राइस से 21% प्रीमियम पर एंट्री की है। गौर करने वाली बात यह है कि इस कंपनी में काम करने वाले 500 कर्मचारी इसके साथ ही करोड़पति बन चुके हैं।
जी हां दोस्तों फ्रेशवर्क्स इंक को मिली इस कामयाबी में इस कंपनी के कर्मचारियों का भी बहुत बड़ा योगदान है इसलिए जाहिर सी बात है कर्मचारियों का भी मुनाफा होगा। जानकारी के मुताबिक इस कंपनी के कुल 500 कर्मचारी अब करोड़पति बन चुके हैं। इन कर्मचारियों में से 69 कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी आयु 30 वर्ष से भी कम है। इस कंपनी के दो तिहाई कर्मचारी ऐसे हैं जो शेरहोल्डर्स है।
फ्रेशवर्क्स कंपनी के सीईओ गिरीश मातृभूतम ने कहा कि कंपनी को खड़ा करने में कर्मचारियों का बहुत अहम योगदान है इसलिए स्वाभाविक रूप से सभी को उनकी मेहनत का फल मिलना ही चाहिए। गिरीश मातृभूतम अपनी कंपनी को भारत की बजाए अमेरिका में लिस्ट करवाने के पीछे की वजह यह बताई कि उनकी कंपनी पहले से ही एक ग्लोबल कंपनी रही है और कुल 120 से अधिक देशों में उनके कस्टमर है और उनका अधिकतम रेवेन्यू भी अमेरिका से आता है इसीलिए उन्होंने भारत की वजह अमेरिका से ही अपनी कंपनी को लिस्ट करवाया।
फ्रेशवर्क्स कंपनी की स्थापना साल 2010 में की गई थी। उस समय गिरीश मातृभूतम ZOHO कंपनी में काम किया करते थे। कंपनी की स्थापना के समय और भी कई सारी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी थी इसलिए फ्रेशवर्क्स सफल होगी या नहीं इस पर काफी संदेह था। फ्रेशवर्क्स की स्थापना करने के तुरंत बाद ही गिरीश मातृभूतम ने क्लाउड बेस्ड कस्टमर सर्विस सॉफ्टवेयर पर काम करना शुरू कर दिया।
साल 2011 में इस कंपनी में पहली बार Accel कंपनी ने 10 हजार डॉलर का निवेश किया। वहीं से फ्रेश वर्ष को पहला कस्टमर भी मिल गया। इसके बाद फ्रेशवर्क्स ने अपनी रेंज का विस्तार किया और अपने साथ सेल्स और सीआरएम को जोड़ लिया। साल 2021 में इस कंपनी का एनिमल रिकरिंग रेवेन्यू उन 49 फ़ीसदी तेजी के साथ 30 करोड़ डॉलर से भी पार हो गया।