दोस्तों बॉलीवुड फिल्म जगत के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन का शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। ‘केबीसी’ के 11वें सीजन को दो करोड़पति भी मिल गए हैं। 1 करोड़ रुपये जीतने वाले इन कंटेस्टेंट के नाम सनोज राज और 1500 रुपये महीना कमाने वाली बबीता ताड़े हैं।
बिहार के रहने वाले सनोज राज के बाद महाराष्ट्र के अमरावती जिले की बबिता ताड़े केबीसी की दूसरी करोड़पति बन गईं हैं। वह एक स्कूल में मिड डे मील बनाती हैं। जहां उन्हें मात्र 1500 रुपये मासिक वेतन मिलता है। उनके पति उसी स्कूल में चपरासी हैं। बबिता ताड़े को प्यार से सभी खिचड़ी काकू बुलाते हैं। उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है। हाल में उन्होंने अपने 1500 रुपये कमाने से लेकर 1 करोड़ रुपये जीतने तक के अपने सफरनामे के बारे में बातचीत की।
जीती हुई ईनामी राशि का आप क्या करेंगी?
बबिता ने कहा की – मैं इसे अपने परिवार की बेहतरी के लिए खर्च करुंगी। मुझे शिवालय बनाना है। अपने बच्चों की जिंदगी सवारनी है। मेरे पति काम की वजह से कभी घूम नहीं पाते हैं तो मैं उनके साथ कहीं बाहर घूमने जाऊंगी।
आपकी उपलब्धि से आपका परिवार कितना खुश है?
उनहोंने कहा की – मेरे घर में त्योहार जैसा माहौल है। सभी बेहद खुश हैं। उन्हें पता है कि इतना बड़ा इनाम है कि हमारा जीवन अब अच्छा चलेगा और कोई दिक्कत नहीं होगी।
केबीसी में आने के प्रेरणा कहां से मिली?
उनहोंने कहा की – मेरे पिता जी जिस गेस्ट हाउस में काम करते थे वहां पर बड़े-बड़े अधिकारी आते थे। तो उनका रहन-सहन, तरीका, उनको मिलने वाली इज्जत मुझे आकर्षित करती थी। उनके पूरे व्यक्तित्व से लगता था कि उन्होंने जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल किया है। तो मैंने पहले से ही कुछ बड़ा करने का सोच लिया था लेकिन मैं कर नहीं पाई। अब भी मुझे आगे पढ़ाई करनी है और बहुत कुछ हासिल करना है।
अमिताभ बच्चन के सामने बैठने से पहले क्या आप नर्वस हुईं थीं?
बबिता ने कहा की – नहीं, अमिताभ जी के सामने बैठने से मुझे डर नहीं लगा था। क्योंकि वह इतने बड़े आदमी होकर भी सभी के स्तर पर जाकर उनसे बात करते हैं और सामने वाले के दिल से हिचक निकाल देते हैं। जैसे ही मैंने उनसे बात करना शुरू किया मैं आत्मविश्वास से भर गईं थीं।
आपको मिड डे मील में सिर्फ 1500 रुपये मिलते थे। तो क्या अब एक करोड़ रुपये जीतने के बाद वहां नौकरी करना छोड़ देंगी?
उनहोंने कहा की- मुझे वहां पर सिर्फ 1500 रुपये ही मिलते हैं लेकिन अगर मैं वहां काम नहीं करुं तो कोई दूसरा जिम्मेदारी लेने वाला नहीं है। वहां ऐसे भी बच्चे हैं जो सिर्फ खिचड़ी के भरोसे ही आते हैं। तो मैं वापस जाकर फिर से अपना काम शुरू करूंगी। वहां मैं बच्चों के लिए रहने की ठीक व्यवस्था करना चाहती हूं। साथ ही वाटर फिल्टर भी लगवाना चाहती हूं।
क्या अफसोस नहीं हुआ कि आप 7 करोड़ रुपए नहीं जीत पाईं?
उनहोंने कहा की – नहीं, बिल्कुल भी नहीं। मैंने 1500 रुपये से 1 करोड़ तक का सफर तय किया है। मेरे लिए यही बहुत बड़ी सफलता है।
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