एक बाल काटने वाला है 370 से भी ज्यादा लक्सरी कारो का मालिक, करोड़पति होने के बाद भी खुद ही काटते है लोगो के बाल!

दोस्तों हम बात कर रहे है बंगलौर के रमेश बाबु की, जिन्होंने बचपन में ही घर घर जाकर दूध और अखबार बेचने का काम किया। इनकी माँ ने लोगो के घरो में काम करके अपने बच्चो को पढ़ाया। लेकिन इनकी मेहनत और लगन के कारण इन्होने ये मुकाम हासिल किया है कि आज ये 378 गाडियों के मालिक है। आज इनका स्टेटस ये है कि, आज इनके पास है ये करोड़ो की रोल्स रोयस। रमेश बाबु का काम है लोगो का हेयर कट करना। जी हाँ रमेश एक बार्बर है। लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी की रमेश बाबु एक हेयर कट के केवल 150 रूपए लेते है और कटिंग भी इतनी कमाल की करते है की दिल खुश हो जाता है। यहाँ तो सलून में घुसने के ही इतने पैसे ले लेते है।

आपको बता दे कि रमेश बाबू के पास 378 से भी ज्यादा गाड़िया है जिनमे 120 गाड़ियां लक्ज़री है। रमेश बाबु एक नाई का काम तो करते ही है लेकिन उनका एक और बिज़नस भी है और वो है गाड़िया रेंट पर देना। रमेश बाबु बताते है कि उनके पास मर्सीडीज, BMW, रॉयल रोल्स, ऑडी, जेग्वार। उनके पास हर ब्रांड की गाडिया मौजूद है। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि रमेश बाबू ने ये सारी गाड़ियां अपनी मेहनत से खरीदी है जो इनके खून पीने की कमाई है। क्युकी जैसा की हमने पहले बताया कि उन्होंने अपना करियर लोगो के घरों में न्यूज़ पेपर बेचने से शुरू किया था।


रमेश बाबू बताते है कि उन्होंने 14 साल की उम्र में ही काम शुरू कर दिया था। वो रोज़ सुबह जल्दी उठते थे लोगो के घर घर जा कर दूध और न्यूज़ पेपर सप्लाई करते थे और जानते हो उन्हें इस काम से कितनी सैलरी मिलती थी, मात्र 100 रूपए महीना। सलून के बिज़नस में रमेश बाबु के पिता काफी माहिर थे लेकिन उनके गुज़र जाने के बाद ये काम उनके चाचा ने संभाला और फिर 18 साल की उम्र में ही रमेश बाबु भी सलून के बिज़नस में आ गए। रमेश बाबु बताते है कि उनकी दूकान पर इतने ग्राहक होते थे कि वो सुबह 6 बजे से रात के 2 बजे तक लगातार काम करते रहते थे और कभी कभी तो कटिंग करते करते उन्हें अगली सुबह भी हो जाती थी। लेकिन रमेश बाबु की सोच काफी बड़ी थी वो अपनी ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना चाहते थे। वो जानते थे कि अगर उनकी शौक और सोच बड़ी होगी तो ही वो वो अपनी ज़िन्दगी में कुछ बड़ा मुकाम हासिल कर सकते है और फिर उन्हें एक आइडिया मिला जिसने उनकी सारी ज़िन्दगी बदल दी।

साल 1993 में रमेश बाबु ने पर्सनल लोन पर एक मारुती ओमनी कार खरीदी। वो बताते है कि गाड़ी लेने के बाद 2 महीने बीत गए फिर 3 महीने बीत गए लेकिन उनके पास लोन वापिस करने के लिए पैसे नहीं थे। तब रमेश बाबु की मम्मी नंदनी आंटी के घर पर काम करती थी जहाँ से उन्हें ये आइडिया मिला। नंदिनी आंटी ने कहा कि मैं अपनी कार रेंट पर क्यों नहीं देता और ये सुझाव पाते ही मैंने ये काम शुरू कर दिया। नंदिनी आंटी बताती है कि जब रमेश ने बिज़नस शुरू किया तो उस समय ड्राइवर् नहीं मिला करते थे तो वो खुद गाड़ी चलाने लगा। और फिर धीरे धीरे उसने अपना बिज़नेस बढ़ा लिया।जिसके बाद रमेश बाबु ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा।

अब जानते है कि आखिर कब रमेश बाबू ने ये सोच लिया कि उनको साढ़े 3 करोड़ की रोल्स रोयस खरीदनी है ……रमेश बाबू बताते है कि वो दूसरो से कुछ अलग करना चाहते थे इसलिए उन्होंने साल 2011 में एक रोल्स रोयस खरीद ली जिसको वो 50,000 Per/Day रेंट पर देते है। यानी केवल एक रोल्स रोयस से ही उन्हें महीने में 15 लाख की कमाई होती है। तो सोच लीजिये अब इतनी गाड़ियों से वो कितने कमा लेते होंगे। लेकीन दोस्तों आप को ये बात जान कर हैरानी होगी कि इतनी बड़ी सम्पति के मालिक होने के बाबजूद, आज भी रमेश बाबु नाई का काम करते है।आज भी रमेश अपने सैलून पर बैठते है और लोगो की कटिंग करते है। उनका कहना है कि भले ही मेरा कार का बिज़नस काफी सफल बिज़नस है लेकिन सलून चलाना ही उनका मेन बिज़नस है और ये बिज़नस वो नहीं छोड़ सकते।

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