दोस्तों दुनियाभर में कोरोना महामारी का संकट बरकरार है। कई देशों में इसके संक्रमण के मामले कम हुए हैं तो कई जगहों पर बढ़ भी रहे हैं। भारत में भी तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। इस बीच दुनिया में एक नए वायरस ने भी दस्तक दे दी है, जिसे बेहद ही खतरनाक माना जा रहा है। इसका नाम मारबर्ग वायरस है। पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में इस वायरस से संक्रमण का पहला मामला सामने आया है, जिसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वायरस खतरनाक और जानलेवा इबोला वायरस से संबंधित है। माना जा रहा है कि मारबर्ग वायरस कोरोना से भी अधिक खतरनाक है। ऐसे में वैज्ञानिकों की चिंताएं काफी बढ़ गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह वायरस संभवत: चमगादड़ों में पाया जाता है। कोरोना को लेकर भी ऐसा ही दावा किया जाता है। यह मारबर्ग वायरस कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है इस वायरस की मृत्यु दर 88 फीसदी तक होती है। अफ्रीका के डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मात्शिदिसो मोएती ने कहा कि इस वायरस में दूर-दूर तक फैलने की क्षमता है, इसलिए हमें इसे जल्द से जल्द रोकने की जरूरत है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी दो महीने पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गिनी में इबोला वायरस की दूसरी लहर के खत्म होने की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद एक नया और जानलेवा मारबर्ग वायरस आ गया। जिस व्यक्ति में इसके संक्रमण का पता चला है, उसे यह संक्रमण कैसे और कहां से हुआ, इसका पता लगाने की कोशिश की जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इंसानों में मारबर्ग वायरस का संक्रमण चमगादड़ों के संपर्क में आने से फैल सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो यह कोरोना की तरह ही इंसानों से इंसानों के सीधे संपर्क से फैल सकता है। संगठन का कहना है कि यह संक्रमित लोगों के रक्त, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थ और सतहों के माध्यम से भी फैलने में सक्षम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मारबर्ग वायरस इंसानों में गंभीर रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है। इसके लक्षण दो से 21 दिनों के बीच नजर आ सकते हैं। इसके संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी तेज बुखार, तेज सिर दर्द और गंभीर अस्वस्थता के साथ अचानक शुरू हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मारबर्ग वायरस से संक्रमण के बाद कई मरीजों में सात दिन के भीतर गंभीर रक्तस्राव की समस्या विकसित हो सकती है और घातक मामलों में आमतौर पर शरीर में कई जगहों से रक्तस्राव होता है। उल्टी और मल के माध्यम से तो शरीर से खून निकलता ही है, साथ ही नाक और मसूड़ों से भी खून बहने की समस्या होती है। घातक मामलों में मरीज की मौत आमतौर पर शुरुआत संक्रमण के 8 से 9 दिनों के बीच हो जाती है।
ये मारबर्ग वायरस के अन्य लक्षण और इलाज!
मांसपेशियों में दर्द, गंभीर पानी जैसा दस्त (दस्त एक हफ्ते तक बना रह सकता है) ,पेट में दर्द और ऐंठन
मतली और उल्टी (यह संक्रमण के तीसरे दिन शुरू हो सकती है) , आंखों का कमजोर होना, सुस्ती। बता दे की फ़िलहाल मारबर्ग वायरस रोग के लिए अभी कोई भी उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसके इलाज के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिरक्षा उपचारों और दवा उपचारों सहित संभावित उपचारों की एक श्रृंखला का मूल्यांकन किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ मरीज की उचित देखभाल और लक्षणों का बेहतर उपचार संक्रमण से उबरने में मदद कर सकता है।