दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की ये गाय बकरी से भी छोटी, जिसके दूध से बनती यही औषध!

दोस्तों गाय को हमारे देश में माँ का दर्जा दिया गया है, और पूरी दुनिया में गाय की कई किस्म की नस्ले मौजूद है लेकिन आज आपको एक ऐसी गाय के बारे में बता रहे है जिसकी लंबाई बकरे से भी कम है। जहां आमतौर पर गायों की हाइट 4.7 से 5 फिट तक होती है वहीं इस गाय की लंबाई केवल 1.75 फीटहै। इसका वजन 40 किलो है। मनिकयम के शरीर में पिछले दो साल से किसी खास तरह का कोई परिर्वतन नहीं आया है और उसकी लंबाई उतनी ही है। यह सही है कि मनिकयम सबसे छोटी गाय है पर वेचूर नस्ल की अन्य गायें भी समान्य गायों के मुकाबले काफी छोटी होती है। इस गाय के लालन-पालन में बकरी से भी कम खर्च आता है।


बता दे की वेचूर नस्ल की गाय का विकास केरल के कोट्टायम जिले के viakkom क्षेत्र में हुआ है। इसके प्रजनन क्षेत्र केरल के अलप्पुझा / कन्नूर, कोट्टायम, और कासरगोड जिले हैं। सींग पतले, छोटे और नीचे की ओर मुड़े रहते हैं। किसी-किसी पशु में सींग बहुत छोटे होते हैं और मुश्किल से दिखाई देते हैं। 124 सेमी की लंबाई, 85 से.मी की ऊंचाई.) और 130 किलोग्राम वजन के साथ वेचूर गाय को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में सबसे छोटे कद की गौ-प्रजाति माना जाता है।

इस प्रजाति की गायों पर जहां रोगों का प्रभाव बहुत ही कम पड़ता है, वहीं इन गायों के दूध में सर्वाधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं। यहां तक कि इसके पालने में बहुत ही कम खर्च आता है, जो एक बकरी पालने के खर्च जैसा ही होता है। हल्के लाल, काले और सफेद रंगों के खूबसूरत मेल की इस नस्ल की गायों का सिर लंबा और संकरा होता है, जबकि सिंगें छोटी, पूंछ लंबी और कान सामान्य लेकिन दिखने में आकर्षक होते हैं। वेचुर पशु गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए अनुकूल माने जाते हैं। इस नस्ल के पशुओं को दूध और खाद के लिए पाला जाता है। वेचुर पशु की रोग प्रतिरोध एवं विभिन्न मौसम को सहने की क्षमता उत्तम होती है। इसकी त्वचा से निकलना वाला द्रव कीटों को दूर रखता है।

केरल कृषि विश्वविधालय ने इस नस्ल को संरक्षित किया है। देश में इस नस्ल की संख्या बहुत ही कम है। वेचुर की अब मुश्किल से 100 शुद्ध नस्लें ही बची हैं। वेचुर गाये दूध कम देती है लेकिन दूध उत्पादन दूसरी छोटी नस्लों के मुकाबले अपेक्षाकृत अधिक होता है। इनके दूध का इस्तेमाल केरल की परंपरागत दवायों में किया जाता है। वेचुर गाये प्रतिदिन 2-3 लीटर तक दूध देती हैं। दूसरी नस्लों की तुलना में वेचूर नस्ल को पालने में बहुत ही कम खर्चा आता है क्योंकि यह नस्ल कम चारे में भी सरलता से पाली जा सकती है। इनके दूध में वसा प्रतिशत 4.7-5.8 होती है। वेचुर गायों के दूध में औषधीय गुण पाए जाते हैं और कम वसा होने के कारण वह पचने में बहोत आसन होता है।

About Himanshu

Check Also

Jhalak Dikhla Jaa 11: Confirmed Contestant; Check out the Complete list

Anaother season of Jhalak Dikhla Jaa a Dance reality show is again here to grab …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *