दोस्तों एमएस धोनी क्रिकेट जगत का वो नाम जिसे कोई नहीं भूल सकता। जब कुछ कर गुजरने का जोश और जज्बा हो, आत्मविश्वास सातवें आसमान पर हो तो कुछ भी किया जा सकता है। महेंद्र सिंह धोनी कुछ ऐसे ही हैं। छोटे से शहर के गली मुहल्लों में क्रिकेट खेलने वाला एक आम लड़का आज टीम इंडिया की क्रिकेट टीम का रीढ़ है। धोनी के पिता पान सिंह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेटर बने। बड़ी बहन जयंती और मां के कारण ही धोनी खेल में अपना करियर बना सके। जयंती खुद स्कूल टीचर हैं और उन्होंने ही धोनी का हर कदम पर साथ दिया।
महेंद्र सिंह धोनी आज अगर सफलता के शिखर पर हैं तो इसके पीछे उनकी बहन जयंती का बड़ा रोल रहा है। क्योंकि घर में उनके क्रिकेट खेलने के फैसले पर कोई भी सहमत नहीं था, पर जयंती को अपने भाई पर भरोसा था इसलिए वह उन्हें सपोर्ट करते हुए क्रिकेट के मैदान पर पहुंचाया। सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद धोनी ने कई साक्षात्कार में अपनी सफलता के पीछे बहन के सपोर्ट को दिया। फिलहाल जयंती टीचर हैं वह बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाती हैं।
जयंती कहती हैं, मेरा भाई कभी भी कोई काम जरूरत से ज्यादा नहीं करता। वो काफी विनम्र है और अपना काम और जिम्मेदारी अच्छे से समझता है। उसे झारखंड सरकार ने पीएचडी ऑफर की थी, लेकिन धोनी से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वो ग्रैजुएशन पूरा नहीं कर पाए थे। बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी ने इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप के बाद से क्रिकेट से दूरी बना रखी है। भारतीय टीम वर्ल्ड कप के बाद वेस्टइंडीज का दौरा कर चुकी है वहीं साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज खेल चुकी हैं। उन दोनों ही सीरीज में धोनी टीम का हिस्सा नहीं थे।
वहीं अगले महीने से बांग्लादेश के भारत दौरे में होने वाली टी20 सीरीज में भी धोनी टीम का हिस्सा नहीं है। क्रिकेट से दूर रहने के बावजूद धोनी अपने रिटायरमेंट को लेकर खबरों में हमेशा बने रहते हैं। इसी बीच ट्विटर पर सोमवार को अचानक धोनी के रिटायरमेंट को लेकर #dhoniretires ट्रेंड करने लगा जिसके बाद फैंस को लगा कि धोनी ने रिटायरमेंट ले लिया है। यह हैशटैग मंगलवार सुबह तक भी टॉप ट्रेंड बना हुआ है।
ये हैं धोनी की बहन जयंती, ये साथ ना देतीं तो धोनी आज दुनिया के सबसे महान कप्तान ना होते!
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